Crossing the Line: भारत में डिजिटल लोन और फाइनेंस कंपनियों का चलन तेज़ी से बढ़ा है। साथ ही, लोन रिकवरी एजेंट्स की धमकियों और बदसलूकी की घटनाएं भी बढ़ती जा रही हैं। कई बार ये एजेंट वसूली के नाम पर कानून की सीमाएं लांघ जाते हैं। हाल ही में एक मामला सामने आया जिसमें एक व्यक्ति को लोन रिकवरी वाले ने गंभीर धमकियाँ दीं।
तो सवाल यह है: क्या लोन न चुका पाने पर धमकी मिलना जायज़ है? क्या आप इसके खिलाफ कुछ कर सकते हैं? जवाब है – बिल्कुल!
धमकी देना अपराध है: जानिए अपने अधिकार
भारतीय कानून में किसी को मानसिक प्रताड़ना देना, धमकी देना या जबरदस्ती वसूली करना अपराध है। अगर कोई लोन रिकवरी एजेंट:
- अपशब्दों का इस्तेमाल करता है
- धमकी देता है (जान से मारने की, पुलिस केस की या सोशल मीडिया पर बदनाम करने की)
- आपके परिवार या जान-पहचान वालों को परेशान करता है
- दिन-रात कॉल करके मानसिक शोषण करता है
तो यह Indian Penal Code (IPC) की कई धाराओं के तहत अपराध है, जैसे कि:
- धारा 503 (आपराधिक धमकी)
- धारा 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान)
- धारा 506 (आपराधिक धमकी देने की सज़ा)
आप क्या कर सकते हैं?
- रिकॉर्डिंग रखें: हर कॉल की रिकॉर्डिंग और चैट के स्क्रीनशॉट सुरक्षित रखें। ये सबूत आपके केस को मजबूत बनाएंगे।
- कंपनी को शिकायत करें: लोन देने वाली कंपनी की कस्टमर सर्विस या नोडल अधिकारी को लिखित शिकायत भेजें।
- RBI में शिकायत करें: अगर बैंक/NBFC है, तो RBI की वेबसाइट पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज करें।
- पुलिस में FIR कराएं: अगर धमकी गंभीर है, तो तुरंत पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करें।
- कंज़्यूमर फोरम में जाएं: उपभोक्ता अदालत में मानसिक प्रताड़ना और बदसलूकी का मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है।
क्या करें और क्या न करें:
करें (DOs) | न करें (DON’Ts) |
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कॉल रिकॉर्ड करें | एजेंट से गाली-गलौज में न उलझें |
शांति से जवाब दें | डर के मारे पैसे न भेजें |
अपने अधिकार जानें | गैरकानूनी मांग न मानें |
वकील से सलाह लें | धमकी को हल्के में न लें |
निष्कर्ष:
लोन लेना आपका अधिकार है, और चुकाना आपकी ज़िम्मेदारी। लेकिन धमकी, शोषण और डर के बल पर वसूली करना एक अपराध है। ऐसे मामलों में चुप रहना खुद के साथ अन्याय करने जैसा है। अपनी सुरक्षा के लिए आवाज़ उठाएं, और अपने अधिकारों को जानें।
कानून आपके साथ है – बस ज़रूरत है एक कदम आगे बढ़ाने की।