Government Officer Case Permission: अब सरकारी अफसर पर केस करने से पहले लेनी होगी मंजूरी – सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला जानें!

Published On: July 3, 2025
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Government Officer Case Permission
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Government Officer Case Permission – अगर आप कभी किसी सरकारी अफसर की कार्रवाई से असंतुष्ट हैं और उसके खिलाफ केस दर्ज कराने की सोच रहे हैं, तो यह खबर जरूर पढ़ें। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में CrPC धारा 197 को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है, जो अब आम लोगों के लिए जानना बेहद जरूरी है।

अब हर कोई किसी भी सरकारी अफसर पर सीधे केस नहीं कर सकेगा — पहले लेनी होगी सरकार की मंजूरी।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट ने एक केस की सुनवाई में साफ कर दिया है:

“अगर कोई सरकारी अफसर अपने आधिकारिक कर्तव्यों का पालन करते हुए कोई फैसला लेता है, और उस पर आपत्ति होती है, तो उस पर केस दर्ज करने से पहले संबंधित सरकार की मंजूरी लेना जरूरी है।”

इसका मतलब — बिना अनुमति कोई केस सीधे कोर्ट में नहीं चल सकता। अगर ऐसा हुआ तो केस खारिज भी हो सकता है।

CrPC की धारा 197 क्या कहती है?

CrPC (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 197 के मुताबिक:

  • यदि कोई सरकारी कर्मचारी, अपने आधिकारिक कर्तव्यों के अंतर्गत कोई कार्य करता है और उस पर आरोप लगता है,
  • तो उसके खिलाफ अभियोजन (prosecution) शुरू करने के लिए सरकारी मंजूरी जरूरी होगी।

किन अफसरों पर लागू होता है यह नियम?

अधिकारीअनुमति कौन देगा
केंद्र सरकार के कर्मचारीकेंद्र सरकार
राज्य सरकार के कर्मचारीराज्य सरकार
जिला स्तरीय अधिकारीज़िला कलेक्टर/विभाग प्रमुख

किन मामलों में मंजूरी जरूरी नहीं?

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि हर बार मंजूरी की जरूरत नहीं होती। यदि अफसर ने:

  • रिश्वत ली हो
  • निजी दुश्मनी या बदले की भावना से कोई काम किया हो
  • ऐसा कोई कार्य किया हो जो उसकी ड्यूटी का हिस्सा नहीं था

तो ऐसे मामलों में सरकार की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। कोर्ट सीधे संज्ञान ले सकता है।

क्या FIR के लिए भी अनुमति जरूरी है?

यह इस पर निर्भर करता है कि मामला किससे जुड़ा है:

  • ✅ अगर मामला सरकारी ड्यूटी से जुड़ा है – पहले अनुमति जरूरी
  • ❌ अगर मामला व्यक्तिगत गलत काम या अपराध से जुड़ा है – FIR बिना अनुमति हो सकती है

इस फैसले का क्या मतलब है आम जनता के लिए?

➤ अगर आप कोई शिकायत करना चाहते हैं:

  1. पहले यह जांचें कि अफसर ने जो किया है, वह उसकी ड्यूटी का हिस्सा था या नहीं
  2. अगर हाँ, तो सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है
  3. अगर अफसर ने व्यक्तिगत लाभ या दुर्भावना से कार्य किया है, तो आप सीधे केस कर सकते हैं

क्या यह कानून अफसरों को बचाने के लिए है?

नहीं। यह नियम ईमानदार अधिकारियों को झूठे मुकदमों से बचाने के लिए है।
अगर कोई अफसर कानून का गलत इस्तेमाल करता है, तो उसे कानून का सामना करना ही होगा।
सुरक्षा का मतलब छूट नहीं होता।

निष्कर्ष: जनता और अफसर, दोनों के लिए जरूरी है ये जानकारी

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने एक बार फिर साफ कर दिया कि कानून सबके लिए है – अफसर हों या आम जनता।
ईमानदारी से ड्यूटी कर रहे अफसरों को अनावश्यक मुकदमों से राहत मिलेगी,
और जनता को यह समझने का मौका मिलेगा कि कब और कैसे सही तरीके से न्याय की मांग करनी है।

sagar singh

Sagar Singh is the operator and content curator of BlueLog.in, an active site featuring a broad mix of digital tools and articles. While personal details remain private, his role as a content manager and web tool developer is clear. For deeper insights, consider contacting him directly via the site

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